फेसबुक बुद्धिजीवियों से भगवान बचाए

हमने अति आत्ममुग्ध, साहित्यजीवी,वामपंथी बुद्धिजीवी को प्रतीक्षारत देखा जो भारत में नेपाल कांड को दोहराते देखना चाहते हैं...ये वो श्वेत केशधारी बुद्धिमान हैं जिनके बच्चे well settled हैं..और क्रांति होने पर सबसे पहले अपने बच्चों को जाने से रोकेंगे..मगर Facebook पर इनको क्रांति चाहिए वो भी अपने ही देश के विरुद्ध....पहली बात आप देश द्रोही हैं...आप जैसे लोग पहले निम्न मध्य वर्ग के बच्चों को भड़काने में आगे रहते हैं और उनसे ही हाथ मिलाकर अपनी रोटी सेंकते हैं, जिनके खिलाफ बच्चों को भड़का रहे हैं....इसे कहते हैं दोगलापन... आप लोग आर जी कर पर कविता लिखते हैं और फिर इसे दबाने वाली माननीया की कृपा प्राप्त करते हैं...आपको संदेशखाली से मतलब नहीं.. आप धर्मनिरपेक्ष हैं मगर हिन्दू उत्पीड़न..मुर्शिदाबाद पर जुबान नहीं खुलती..आप कथित तौर पर देशभक्त हैं पर अशोक स्तम्भ के अपमान पर मौन हैं....आप युवाओं के शुभचिंतक हैं पर सड़क पर नौकरी गंवाने वाले बच्चों से आपको मतलब नहीं...आप अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता चाहते हैं मगर हिन्दू नर संहार और उस पर बनी फिल्म के प्रतिबन्ध पर चुप्पी साधे बैठे हैं..उसे छोड़िए...आप ...