खबरों को खबर रहने दीजिए...ज्यादा मसाले सेहत खराब कर देंगे

सत्य तो यही है अब आम जनता की तरह सुप्रीम कोर्ट मीडिया से परेशान है। यह मीडिया के लिए शर्म का विषय होना चाहिए मगर खाल मोटी है, लगता नहीं कि कोई असर भी पड़ेगा। सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस ने बड़ी टिप्पणी करते हुए मीडिया को जिम्मेदारी से काम करने की सलाह दी है। उन्होंने एक याचिका की सुनवाई के दौरान कहा कि हम प्रेस की आजादी का सम्मान करते हैं , लेकिन प्रेस को भी अपनी जिम्मेदारी से काम करना चाहिए। इलेक्ट्रोनिक मीडिया में बैठे कुछ लोग वो सोचते हैं कि वो कुछ भी लिखते हैं , कुछ लोग तख्त पर बैठकर क्या कुछ भी लिख सकते हैं. क्या ये पत्रकारिता है ? वैसे भी मीडिया ट्रायल इस देश में कोई नयी बात नहीं है मगर हाल के कुछ वर्षों में इसने खतरनाक शक्ल ले ली है और एक पत्रकार न चाहते हुए भी पिस रहा है। गालियाँ भी खा रहा है और यह मीडिया प्रबंधनों की मेहरबानी से हो रहा है जिनको टीआरपी चाहिए फिर चाहे वह किसी भी कीमत पर मिले। अदालत बनकर फैसले सुनाने की तरह किसी एक पक्ष को उभारना मीडिया का काम नहीं है मगर आप कोई भी मामला उठाकर देख लीजिए यही हो रहा है। ऐसा लगता है कि कोई मुद्दा मिठाई की तरह है जिसे...