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अप्रैल 15, 2018 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

तर्क का उत्तर तर्क हो सकता है, उपहास नहीं..कमियाँ देखते हैं तो उपलब्धियों को स्वीकार भी कीजिए

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महाभारत को लेकर त्रिपुरा के मुख्यमंत्री का बयान सुर्खियों में है...मीडिया को एक नयी स्टोरी मिली...आधी हकीकत और आधा फसाना...जैसे कार्यक्रमों के लिए एक नया मसाला मिला....सोशल मीडिया पर  मजाक उड़ाया जाना जरूरी है मगर आप अपने प्राचीन ग्रंथों...और रामायण व महाभारत जैसे ग्रन्थों पर विश्वास करते हैं तो आप एक झटके से इनको खारिज नहीं कर सकते।  यह शोध का विषय है, उपहास का विषय नहीं है..यह मानसिकता कि सब कुछ हमें पश्चिम से मिला है..और अपनी उपलब्धियों का माखौल उड़ाना कहीं न कही हमारी पश्चिम पर निर्भरता के कारण है....आज जो चीजें परिवर्तित रूप में हमारे सामने हैं,वे किसी और रूप में पहले थीं...आपने उसे खोया है। भला यह कैसे सम्भव है कि कोई कल्पना के आधार पर एक या दो नहीं बल्कि पूरे एक लाख या उससे अधिक श्लोंकों की रचना कर डालें।  आप नाम भले इंटरनेट का न दें...मगर महाभारत और इसके पहले कुछ तो था जिसे हम और आप नहीं जानते...मुख्यमंत्री विप्लब देब अगर संजय ने महाराज धृतराष्ट्र को कुरुक्षेत्र का आँखों देखा हाल सुनाया तो कोई तो तकनीक ऐसी रही होगी...जिससे ये सम्भव हुआ होगा जबकि उस समय में मोबाइल फ