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खौफनाक गुजरा अगस्त 2018, ‘अजातशत्रु’ अटल संग गये सोमनाथ व करुणानिधि

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सुषमा त्रिपाठी सोमनाथ चटर्जी और लालकृष्ण आडवाड़ी के साथ क्या खोया, क्या पाया जग में मिलते और बिछुड़ते मग में मुझे किसी से नहीं शिकायत यद्यपि छला गया पग-पग में एक दृष्टि बीती पर डालें, यादों की पोटली टटोलें! ये अगस्त खौफनाक गुजरा....और अगस्त का यह सप्ताह भारतीय राजनीति का युगान्त साबित हुआ। देश ने एक के बाद, एक नहीं तीन दिग्गज नेताओं को खोया। गत 7 अगस्त को पहले करुणानिधि और फिर गत 13 अगस्त को पूर्व लोकसभाध्यक्ष सोमनाथ चटर्जी गये। देश इस सदमे से उबर भी नहीं पाया कि स्वतन्त्रता दिवस के अगले दिन गत 16 अगस्त को ही युगपुरुष अटल बिहारी वाजपेयी ने भी इस भौतिक जगत से नाता तोड़ लिया। हम शोक सन्तप्त हैं, निःशब्द हैं और रह - रहकर इतिहास अपने पन्ने पलट रहा है। हम भी पीछे मुड़कर देख रहे हैं...वह मैत्रीभाव...जिस पर न पार्टी की राजनीति हावी हो सकी और न विचारधाराओं की विभिन्नता बल्कि वहाँ तो नजर आती है परस्पर आदर की भावना..। भाजपा के वरिष्ठ नेता वाजपेयी पहली बार 1996 में 13 दिनों के लिए, 1998 में 13 महीने और फिर 1999 से 2004 तक भारत के प्रधानमंत्री रह चुके हैं। वाजपेयी 1991, 1996