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भारतीय पत्रकारिता में राष्ट्रवाद, राष्ट्रीय चेतना और पत्रकार

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जब भी लिखिए...कर्मचारी बनकर नहीं बल्कि एक भारतीय बनकर, एक मनुष्य बनकर लिखिए । नये भारत में समानता, उदारता, भारत की अखंडता, जागरुकता लाने में जनता को सच बताने में पत्रकारिता और पत्रकारों की बड़ी भूमिका है और हम पत्रकारों को इस भूमिका का निर्वहन वैसे ही करना होगा जैसे हमारे पूर्वजों ने नवजागरण काल में किया, वैसी ही मशाल जलानी होगी जो पराधीन भारत में जली और सूर्य उदित हुआ । पत्रकारिता की चेतना का सूर्य भी उदित होगा...अवश्य होगा और भोर का सूरज समाज के हाथ में हम पत्रकार ही रखेंगे राष्ट्रीयता आज के दौर में बहुचर्चित शब्द है और लम्बे समय के बाद इस शब्द को लेकर इतने विवाद हो रहे हैं । राष्ट्रीयता का आशय यदि भारतीयता से हो तो निश्चित रूप से यह एक सकारात्मक शब्द है मगर जब राष्ट्र, राष्ट्रवाद और राष्ट्रीयता को जब आप विशेष धर्म के दायरे में समेटने लगते हैं तो वहाँ पर समस्या होती है और आज यही हो रहा है । आज पत्रकारिता के क्षेत्र में हर मीडिया हाउस का अपना राष्ट्रवाद है, अपनी परिभाषा है मगर सत्य कटु होने पर भी कहना पड़ा रहा है कि मीडिया की नीतियों का, उसकी सोच की अपनी कोई धारणा मुझे नहीं दिखती,

नव गति..नव लय..नव स्वर ...शुभ सृजन प्रकाशन

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शुभ सृजन प्रकाशन....यह एक सपना था....जो अब पूरा हुआ है । एक राह है जिस पर चलने का मन लम्बे...बहुत लम्बे समय से था । पढ़ते हुए जब कभी कोई पत्रिका पलटती तो मन कहता...एक दिन मैं भी कोई पत्रिका निकालूँगी और लोग ऐसे ही पलटेंगे...उसे खूब प्रेम मिलेगा । सपने ही तो जीवन को दिशा देते हैं..मैंने भी सपने देखे...और उनकी ओर बढ़ती चली गयी..और ईश्वर की कृपा से धीरे - धीरे बढ़ती चली गयी । आज जब यह लोगो तैयार कर रही थी..मन में एक साथ कई सारे भाव उमड़ - घुमड़ रहे थे । किताबें लिखते हुए..प्रकाशित करवाते हुए कई खट्टे - मीठे और कड़वे अनुभव हुए और तब लगा कि यह तो मेरी ही नहीं बहुतों की कहानी है । कहा जरूर जाता है कि नये लोगों को मौका दिया जाए..उनकी प्रतिभा को सामने लाया जाए मगर वास्तविकता में ऐसा होता नहीं है । नये लोगों की किताबें नामचीन दिग्गजों की किताबों के ढेर के नीचे दबी रह जाती हैं ..उनके पास नाम नहीं है...उनके पास इतने रुपये नहीं हैं...उनकी इतनी पहुँच नहीं है तो उनके लिए आगे बढ़ने का एकमात्र मार्ग रह जाता है कि वे किसी बड़ी नामचीन हस्ती के पीछे रहें...उनकी सिफारिश से अपना काम निकलवाएं या फिर पढ़ -