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नव गति..नव लय..नव स्वर ...शुभ सृजन प्रकाशन

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शुभ सृजन प्रकाशन....यह एक सपना था....जो अब पूरा हुआ है । एक राह है जिस पर चलने का मन लम्बे...बहुत लम्बे समय से था । पढ़ते हुए जब कभी कोई पत्रिका पलटती तो मन कहता...एक दिन मैं भी कोई पत्रिका निकालूँगी और लोग ऐसे ही पलटेंगे...उसे खूब प्रेम मिलेगा । सपने ही तो जीवन को दिशा देते हैं..मैंने भी सपने देखे...और उनकी ओर बढ़ती चली गयी..और ईश्वर की कृपा से धीरे - धीरे बढ़ती चली गयी । आज जब यह लोगो तैयार कर रही थी..मन में एक साथ कई सारे भाव उमड़ - घुमड़ रहे थे । किताबें लिखते हुए..प्रकाशित करवाते हुए कई खट्टे - मीठे और कड़वे अनुभव हुए और तब लगा कि यह तो मेरी ही नहीं बहुतों की कहानी है । कहा जरूर जाता है कि नये लोगों को मौका दिया जाए..उनकी प्रतिभा को सामने लाया जाए मगर वास्तविकता में ऐसा होता नहीं है । नये लोगों की किताबें नामचीन दिग्गजों की किताबों के ढेर के नीचे दबी रह जाती हैं ..उनके पास नाम नहीं है...उनके पास इतने रुपये नहीं हैं...उनकी इतनी पहुँच नहीं है तो उनके लिए आगे बढ़ने का एकमात्र मार्ग रह जाता है कि वे किसी बड़ी नामचीन हस्ती के पीछे रहें...उनकी सिफारिश से अपना काम निकलवाएं या फिर पढ़ -