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प्रेमकथा नहीं, भारतीय इतिहास व राजनीति की अनकही दास्तान है एडविना और नेहरू

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कैथरीन क्लेमां का नाम गूगल पर आपको मिल जाएगा पर विस्तृत जानकारी नहीं मिलेगी। जब कैथरीन की किताब एडविना और नेहरू को दूसरी बार पढ़ा था। आम तौर पर इस पुस्तक को दुर्लभ प्रेम कथाओं में जाना जाता है पर यह किताब मेरी नजर में बतौर पाठक प्रेमकथा से कहीं आगे है। भारत -पाकिस्तान के विभाजन के दौरान मचा तांडव, भारतीय नेताओं की मनोदशा...यह किताब सबके नकाब खोलती है। पुस्तक का अनुवाद निर्मला जैन ने किया है और यह एक शानदार अनुवाद है। प्राक्कथन में कैथरीना मानती हैं कि प्रेम की इस परम्परा का जन्म 12वीं शताब्दी के यूरोप में धर्मयुद्धों के समय हुआ था। (पेज -1) ...आगे वह लिखती हैं कि मैंने नेहरू और एडविना पर इसी परिप्रेक्ष्य में ऐतिहासिक उपन्यास लिखा है। मुक्त भाव से मैंने कुछ ऐसी कुछ स्थितियों जोड़ दी हैं, जो संभवतः घटित नहीं हुईं, लेकिन कुछ संकेतों के आधार पर उनका घटित होना संभव जान पड़ता है। दूसरी ओर कुछ और स्थितियां जो असंभव प्रतीत होती हैं, वास्तव में एकदम सच्ची है। (पेज -2) नेहरू और एडविना दोनों इंसान थे। दोनों में नेतृत्व का गुण था। दोनों रोमांटिक थे, उनमें भावावेश था और अपने ढंग से दोनों भारत ...