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नीतिश ने वही किया जो ऐसी स्थिति में हम और आप करते

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नीतिश को शायद अंदाजा है कि उनकी राह इतनी आसान नहीं हैै टॉपर और रिजल्ट घोटाले के बाद बिहार इन दिनों फिर से चर्चा में है। चर्चा में तो पहले से ही था मगर वहाँ के अत्प्रत्याशित राजनीतिक घटनाक्रम ने जो मोड़ लिया है, उसने बिहार की राजनीति को राष्ट्रीय अखबारों की सुर्खियों में लाकर खड़ा कर दिया। सुशासन बाबू धोखेबाज बन गए और लालू के साथ बेवफाई पर चुटकुले गढ़े जाने लगे, वो लोग उंगली उठाने लगे जो अपनी अवसरवादिता के लिए बदनाम हैं। वो लोग तंज कसने लगे जिन्होंने खुद गठबंधन की राजनीति को धता बताकर मनमाने फैसले लिए। बिहार की राजनीति शोध करने के लायक विषय बन गयी है। आप सिर्फ कल्पना कीजिए लालू और उनके परिवार, खासकर बेटों के हाव – भाव और बॉडी लैंग्वेज पर....और फिर बताइए कि जो व्यक्ति राज्य की कमान 5 बार सम्भाल चुका हो, जिसके नेतृत्व में राज्य की दशा सुधरी हो, वह उसे क्यों बर्दाश्त करेगा ? लालू के परिवार में शिष्टाचार नहीं है, तमीज भी नहीं है और जिस तरीके से आधी रात को पैदल मार्च करके तेजस्वी और तेजप्रताप राजभवन निकल पड़े, उसे देखकर यही स्पष्ट हो रहा था कि बिहार की सत्ता उनके लिए पैतृक सम्पत्त