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आज के डिजिटल युग में फोटोग्राफर नहीं, कैमरा बोलता है

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मुझे सर मत कहा कीजिए…ये सर – वर सुनना पसन्द नहीं है । यह 2004 की बात है जब पत्रकारिता के क्षेत्र में मैंने कदम रखा ही था । सन्मार्ग में फोटो बाबू और गुरू जी के नाम से प्रख्यात सुधीर जी ने स्पष्ट शब्दों में यह बात तब कही थी जब अपने पहले असाइन्मेंट को लेकर गयी थी और छायांकन की जिम्मेदारी उनकी थी । अक्खड़ कहिए फक्कड़ कहिए..तब बहुत अजीब लगा था कि ये ऐसे बात क्यों कर रहे हैं । यह भी सुना कि वह नाराज बहुत जल्दी होते हैं…पत्रकारिता के क्षेत्र में जब दो दशक बीत रहे हैं तब समझ आ रहा है कि उनकी नाराजगी एक जायज नाराजगी थी । बहरहाल, मैंने उनका निर्देश मानकर हमेशा उनको सुधीर जी कहा…वह सबकी मदद करते थे…आपके प्रति उनका व्यवहार आपके व्यवहार पर निर्भर करता है मगर मेरे लिए वह सदैव आदर के पात्र रहे । हां…अपने अंतिम समय से कुछ साल पहले एक दुःखद घटना के कारण मेरे प्रति उनकी नाराजगी के बाद भी…क्योंकि उनकी जगह कोई भी होता तो यही करता…पत्रकारिता में कुछ लोग पिता की तरह रहे…सुधीर जी उनमें से एक रहे । वह नारियल की तरह थे…अन्दर से सख्त मगर अन्दर मिठास भरी थी। आपने उनको जब समझ लिया तो उनके अन्दर करुणा भरा हृद