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स्त्री - पुरुष की मित्रता को सामान्य बनाइए और स्कूलों में सिखाइए, अपराध कम होंगे

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बहुत सी चीजें अब भी भारतीय समाज के लिए किसी डर से कम नहीं हैं। इनमें से एक मुद्दा है स्त्री व पुरुष के सम्बन्धों को सही तरीके से लेकर चलना । दुःख की बात यह है कि हमारी शिक्षा व्यवस्था से लेकर सामाजिक व्यवस्था तक में यह सिखाया ही नहीं जाता कि एक लड़का और लड़की अच्छे दोस्त भी हो सकते हैं। दोस्ती न भी हो तो मनुष्यता के नाते मैत्री व आदर अथवा स्नेह के भाव से एक साथ काम कर सकते हैं। हम उस समाज से आते हैं जहाँ स्त्री और पुरुष के बीच शरीर और दैहिक आकांक्षाओं का इतना बड़ा बवंडर खड़ा कर दिया गया है कि बचपन से ही एक लड़का अपनी बहन को छोड़कर दूसरी लड़कियों को माल समझता है। बचपन से ही वह मां - बहन की गालियां सुनते हुए और बड़ों को ऐसी गालियां देते हुए देखता है और यही वह अपने दोस्तों से लेकर सार्वजनिक स्थल पर करता है और दुःख की बात यह है कि उसे यह सब सामान्य लगता है । मां, बहन, बेटी को छोड़कर संसार में कोई और रिश्ता भी हो सकता है, यह किसी की समझ में आता ही नहीं है और गालियां भी इन रिश्तों के नाम पर ही दी जाती हैं। लड़कों की नजर में अगर कोई लड़की पसंद आ गयी तो वह किसी भी सूरत में उसकी ही होनी चाह