कहते हैं कि जड़ें आपको हमेशा बुलाती हैं। जन्म शहर में हुआ, गाँव देखा नहीं मगर तस्वीरें देखी हैं...एक भरा - पूरा परिवार...और इतना विस्तृत कि हम दूर -दूर तक फैले हैं..हमेशा से कोशिश थी और ये सपना था कि एक पुस्तकालय हो...। ये जरूरी इसलिए लगा कि अब बिहार की छवि बदलना....और वह बताना जो आप नहीं जानते...साहित्य. कविता सब कुछ और साथ ही कुछ ऐसी तस्वीरें...जो हमें मिट्टी से जोड़ें। अब एक संग्रहालय भी चाहिए तो जब तक नहीं होता...कुछ पुरानी तस्वीरें ही जोड़ लेते हैं...क्या पता...क्या कहाँ से जुड़ जाए...
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