ये पब्लिक है, सब जानती है
आपने एक गम्भीर क्षेत्र को सर्कस बनाकर छोड़ दिया है, शायद एक जोकर भी आपसे कहीं ज्यादा संवेदनशील होगा कहते हैं कि खबर तो खबर होती है मगर आज प्रशस्ति खबर बन रही है। मीडिया में अब ग्लैमर का राज है और पत्रकारों पर बेशर्म होने का दबाव...हम एक विचित्र युग देख रहे हैं। अपनी माँगों को लेकर धरतीपुत्र किसान नंगे पैर चलकर कई दिनों का सफर तय कर शहर पहुँचते हैं। उनका सम्मान करना तो दूर की बात है, उनको शहरी माओवादी बता दिया जाता है। नंगे और छिले हुए पैर...वाले किसान के खेतों से आपको अन्न मिलता है और आप उसका ही अपमान करते हैं। उसका जायज हक तक नहीं देते। किसान आन्दोलन पर और उसके कारणों को लेकर बहुत बातें हो रही हैं...देश भर में आन्दोलन हो रहे हैं मगर हमारा मीडिया बाथ टब की तहकीकात से बाहर नहीं निकल पा रहा है। सुन सकते हैं तो इन खामोश आँखों की चीख सुनिए एक या दो दिन दिन नहीं बल्कि कई – कई दिनों तक आप माया के महिमा गान से निकल नहीं पा रहे हैं और आप खुद को जनता और सच्चाई की आवाज बता रहे हैं। अमिताभ बच्चन का तबीयत खराब होना राष्ट्रीय समस्या बन जाता है और आप पल – पल की खबर दिखाते हैं...। म