इस साल की बोर्ड परीक्षाएं तो समाप्त हुईं मगर हर साल की तरह नतीजे हैरत में डालने वाले थे। माध्यमिक और उच्चमाध्यमिक की परीक्षा में झंडा फहराने वाले जिले आईएससी और सीबीएसई की परीक्षा में नहीं दिखे। एकबारगी मानना मुश्किल था कि जिस शहर ने देश को एक नहीं दो टॉपर दिए, उसके नतीजे इतने खराब होंगे। जिलों के प्रति सहानुभूति और कोलकाता के प्रति विरक्ति नजरअंदाज करना कठिन है। लड़कियाँ तो मानों पीछे छूटती चली गयीं और ज्वाएंट एन्ट्रेंस परीक्षा के नतीजों ने तो मानो सोचने पर मजबूर कर दिया कि आखिर लड़कियाँ हैं कहाँ? इन नतीजों के साथ एक बंधी - बँधायी मानसिकता भी दिखी, लड़कियाँ इंजीनियर नहीं बनना चाहतीं, शोध नहीं कर रहीं और विज्ञान में उनको दिलचस्पी नहीं है। जाहिर है जोखिम उठाने वाले क्षेत्रों में या समय लेने वाले क्षेत्रों में लड़कियाँ या तो खुद नहीं जाना चाहतीं या फिर उनको सामाजिक व्यवस्था इजाजत ही नहीं देती। महानगर में आयोजित हो रहे कॅरियर मेलों में भी लड़कियों की संख्या बेहद कम है। इन क्षेत्रों से होकर गुजरने वाले रास्ते निर्णायक रास्तों की ओर मुड़ते हैं और यही हाल रहा तो कहना पड़ेगा, दिल्ली अभी बहुत दूर है।
बंगाल की शिक्षा व्यवस्था को ध्वस्त करने वाला हथौड़ा शिक्षक नियुक्ति घोटाला
बंगाल की शिक्षा व्यवस्था इन दिनों बेपटरी हो गयी है। पढ़ाने वाले सड़कों पर हैं और पढ़ने वाले संशय में दो पाटन के बीच पिस रहे हैं । बतौर पत्रकार शिक्षा बीट की ही खबरें की हैं और खूब की हैं। उन दिनों संवाददाता सम्मेलन होते थे तो वहां भी जाती थी और बहुत कुछ ऐसा था जिसका कारण तब समझ नहीं सकी मगर अब बात समझ रही है। 2011 के पहले भी आन्दोलन होते रहे हैं। शिक्षक सड़कों पर उतरे हैं। ऐसा नहीं है कि वाममोर्चा सरकार दूध की धुली थी मगर भ्रष्टाचार का जो घिनौना रूप अब देखने को मिल रहा है तब शायद सामने नहीं आ सका था। जो भी हो..भ्रष्टाचार की चक्की में पिसना तो निरपराधों को है। एक तरफ देश की संसद है जहां दागी भी जेल से चुनाव लड़ रहे हैं, एक बार में ही माननीयों की तनख्वाह लाखों रुपये हो जा रही है और दूसरी तरफ हमारे देश के भविष्य का निर्माण करने वाले असंख्य युवा हैं जिनके मुंह से वह रोटी भी छीनी जा रही है जिसे उन्होंने अपनी मेहनत से अर्जित किया है। 26 हजार नौकरियां मतलब 26 हजार परिवारों का भविष्य दांव पर लग जाना और हजारों स्कूलों की व्यवस्था का बेपटरी हो जाना..यह खेल नहीं है। दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने 3 अ...
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