तो ए मंजीत बाबू ...

 

 अब आप कहेंगे कि ठगा जाने के बाद ठग को कोई लिखता है भला...उसको तो कोसता है सब...अरे...रुकिये जरा...कोस तो हम भी रहे हैं...लेकिन थोड़ा कोसना तो हमको अपने लिए सुरक्षित रखना होगा...काहे कि गलती तो हमरा भी है...उ बटन टिपवाये...अउर हम टीपते चले गये...तो हम अपने को कोस चुके हैं...लेकिन लिख रहे हैं कि अब लगा कि बतियाना चाहिए...जाने किस जामताड़ा...अनारताड़ा से हैं इ लोग लेकिन ...कुछ बात करना ही है तो देखिए टोकियेगा मत....ओनली लिसेन...बूझे...तो

हाँ तो...मंजीत और अनिल...अरे...आप तो इतने डरपोक हैं कि नमवो असली नहीं रखे हैं...उ तो पेटीएम का स्लिप देखकर पता चला कि एक ठो इरशाद है और दूसरा देवेन्दर...हमरे जैसे लोगों के लिए तो अव्वल दर्जे के छछंदूर..

.का लगा था आपको...आपसे ठगाकर हम मातम मनाएंगे...? देखिए...हम पहले ही बोले कि मीडिया से हैं...एक नम्बर के थेथर...ऊपर से हैं बिहारी...और लिखने का भी है बीमारी.....देख लीजिए विद् स्माइलिंग फेस आपके सामने हैं...हाँ तो हम का कह रहे थे...आपके माता - पिता ने आपका नाम कितना प्रेम से रखा होगा...मेरा नाम करेगा रोशन टाइप...अउर आप लोग का किये जी...मिट्टी में उनका नाम मिला दिये...शरम तो आपको होगा नहीं...निर्लज्ज हैं...तभी तो ऐसा काम करते हैं आप लोग....

आप तो माल उड़ा रहे हैं...ऐश कर रहे हैं और आपके पीछे...आपको खोजते हुए जब पुलिस घर पहुँचती होगी तो कभी सोचा है आपने कि आपके बूढ़े माता - पिता का क्या हाल हुआ होगा....किसी के मेहनत का कमाई उड़ाकर अगर उनको आप दवा भी देंगे तो वह जहर होगा उनके लिए...अनाज खरीदेंगे...तो उसमें किसी का बद्दुआ होगा...क्योंकि यह भी हो सकता है कि आप जो अनाज खरीद रहे हैं...उसमें किसी किसी किसान का पैसा होगा...जो बीज खरीदने के लिए रखा हो...जिसके घर में बच्चे भूखे हों...पशुओं के लिए चारा न हो...और जो पैसा आपने लूटा...वह उसकी आखिरी पूंजी हो...हम जानना चाहते हैं कि क्या आपका हाथ उठेगा ऐसा अनाज खरीदने और खाने के लिए...? अगर अपने परिवार के लिए ठगी कर रहे हैं तो क्या ऐसा पैसा बरकत देगा और परिवार का भला होगा...?  कैसा लगता होगा कि जिस माता - पिता ने आपको इतना बड़ा किया...अपना खून देकर बड़ा किया....आपने बदले में उनको क्या दिया...एक अपराधी का बाप होने की सजा...उस माँ का गुनाह क्या है जिसने 9 महीने आपको अपनी कोख में सींचा कि बेटा या बेटी...जो भी हों...बुढ़ापे का सहारा बनेंगे...आपने उनको क्या दिया...अपराधी की माँ होने का दर्द...एक बार भी नहीं सोचा कि आप पकड़े जाएंगे तो आपके पीछे आपके घरवालों का क्या होगा...आपकी बहन य़ा आपके भाई को उसकी ससुराल और दोस्तों में आपके कुकर्मों के कारण ताने सुनने को मिलेंगे तो उनकी दशा क्या होगी...इस बहन ने आपकी कलाई पर राखी बाँधी थी...आप उसकी ऐसे रक्षा करेंगे...और कल को आपके कारण इनमें से किसी ने कुछ गलत कर दिया तो क्या खुद को माफ कर सकेंगे आप...?

और यह अपराध की गठरी लेकर कैसे जीते हैं आप..यह जानना भी दिलचस्प है...मैं कोई संत या महात्मा नहीं हूँ पर इन्सान तो हूँ...भाई आपको क्या हक है कि आप अपने स्वार्थ के लिए इन सबकी जिन्दगी नर्क बना दें....नींद कैसे आती है आपको.....ओह सॉरी...आप तो चोर हैं...ठग हैं...वह तो सोते ही नहीं.....लेकिन आप अपनी मृतात्मा का क्या करते हैं....अच्छा यह बताइए कि आईने में जब अपनी शक्ल देखते हैं तो क्या आपको शर्म आती है....पुलिस से भाग सकते हैं....खुद से कैसे भागेंगे....अपनी अन्तरआत्मा से कैसे भागेंगे ?

हम सब इन्सान  हैं...मुझे आपके लिए कोई तकलीफ नहीं है पर मैं सिहर जाती हूँ जब मैं आपके घरवालों के बारे में सोचती हूँ...उस औरत के बारे में सोचती हूँ जिसकी शादी उसके पिता ने बड़े चाव से की होगी कि कोई एक नेक बन्दा उसकी बेटी को खुश रखेगा...खुश रखने का क्या नायाब तरीका निकाला है दामाद ने....आपकी सास आपकी बलाएं कैसे लेती होंगी...आपकी पत्नी या माँ जब भी व्रत करती होंगी आपकी लम्बी उमर के लिए ...गौर से देखियेगा...उसमें एक पश्चाताप है...आप आज  नहीं तो कल...पकड़े ही जाएंगे...फिर कभी वह औरत कैसे जीएगी...कभी आपने सोचा है...कि ये दुनिया उसके साथ कैसा बर्ताव करेगी...?

मैं पत्रकार हूँ जी...कैदियों की जिन्दगी को भी कवर किया है...उनकी बेबसी...मैंने आँखों से देखी है...अदालतों में उनके घर वालों को तड़पते देखा है...आपका क्या है...आप ऐश कीजिए लेकिन आप पकड़े गये और आपको छुड़ाने में...मुकदमा लड़ने में बूढ़ा बाप अदालतों के चक्कर लगाता रहे...घर - बार सब बिक जाये....मगर आपको थोड़े न फर्क पड़ेगा...बेटे की रिहाई के इन्तजार में बूढ़ी माँ की आँखें पथरा जाए...मगर आपका क्या है...कीजिए ठगी...भागते रहिए...आपकी पूरी जिन्दगी आप भागते ही तो  रहे हैं....पुलिस से...परिवार से...दोस्तों....बच्चों से और खुद से भी।

ये देश उन वीरों की भूमि है जिन्होंने देश को आजाद करवाने के लिए प्राण दिये....इतिहास तो पढ़े नहीं होंगे तो जिस स्मार्टफोन से लूटते हैं...न कभी उस पर इतिहास पढ़ भी लीजिएगा...आपने जिस सेना का नाम लेकर ठगी की..या जो लोग पुलिस या डॉक्टर का नाम लेकर ठगी करते हैं...वह नहीं  जानते कि यह सब इस देश की प्राण वायु हैं...आपने उन वीरों का अपमान किया जो आपकी सुरक्षा के लिए देश की सरहद पर जान दे रहे हैं...अब आप सोच लीजिए कि आपकी बेहयाई की सुपर हाइट क्या है...और क्या होगा जब आप पकड़े जाएंगे...कैसे एहसानफरामोश हैं जी आप...?

बहुत से लोग गर्लफ्रेंड या बॉयफ्रेंड के चक्कर में इ सब करते हैं...अगर आपका भी इहे मामला है तो उससे पूछिएगा कि पुलिस जब आपको गिरफ्तार करेगी तो भी क्या आपसे वह ब्याह करेगी या करेगा या फिर अच्छे खानदान के किसी सपूत या सुपुत्री के साथ फेरे लेंगे...अगर ऐसा हुआ तब तो आपका बंटाधार हो जाएगा...चोर भी बने...और पियार भी तेल लेने गया आपको चूना लगाकर...तो जो आप सबको उल्लू बना रहे हैं...कहीं आप ही तो सबसे बड़े उल्लू तो नहीं बन रहे...माने पूछ रहे हैं...काहे कि इस समाज में भाई और बहिन एक दूसरे के लिए खड़े नहीं होते...एक गंडासा लेकर खानदान की इज्जत की आड़ में बहिन का गला काटता है और तो बहिन अपनी लवेबुल भौजाई का जीना इसलिए हराम कर देती है कि भाई के बियाह में उसकी मर्जी नहीं चली...खैर...भाई - बहन एक दूसरे के लिए खड़े हों तब तो समाज का ही तकदीर बदल जाएगा...लेकिन ऐसा है नहीं..।

अच्छा, आपने दीवार पिक्चर देखी है....देखी ही होगी...मेरा बाप चोर है वाली लाइन याद है....आपके बच्चे के साथ ऐसा हो तो जिम्मेदार कौन होगा....कैसे बाप हैं आप...देखिए साहब ...हम सब इन्सान हैं....पैसा क्या है...आएगा और जाएगा...हम सब यादों में पहचाने जाते हैं....बाकी अपनी औकात...एक तस्वीर...मुट्ठी भर राख और धूल से नहीं है...कुछ भी साथ नहीं जाने वाला...लोग हमें याद रखेंगे...कि हमने अपनी पूरी जिन्दगी किया क्या है...आपको कैसे याद किया जाएगा...और क्या आपके बच्चे याद भी रखना चाहेंगे...नहीं....जिनके लिए आप यह सब कर रहे हैं न...कोई नहीं याद करेगा आपको क्योंकि कोई भी खुद को एक अपराधी का पिता...या अपराधी का बच्चा....ऐसे कोई याद करे..नहीं चाहता...तो आपके पास...ऐसा कुछ नहीं होगा...ज्यादा से ज्यादा दो बूँद आँसू गिरेंगे और वह भी आपके कर्मों को याद करके पोंछ लिये जाएंगे....तो आपका नसीब यह है मंजीत बाबू ....आपके हिस्से में न याद हैं और न दो बूँद आँसू....

तो हम आपको समर्पित एक कविता के साथ अपनी बात फिलहाल खत्म करते हैं...ज्ञानेंद्रपति का नाम सुने नहीं होंगे...टाइम तो चोरी के नुस्खे निकालने में जाता होगा...तो पढ़िएगा...चेतना पारीक उनकी कविता है...उनसे माफी माँगते हुए सारी दुनिया के ठगों को समर्पित एक कविता

.....

मंजीत भाई कैसे हो?

भाग रहे हो अब भी

या छुपकर कहीं लेटे हो

क्या कर रहे हो...

किसी सिपाही का 

आधार कार्ड चुरा रहे हो

या फिर मार्केटप्लेस पर

ठगी का जाल फैला रहे हो

गूगल पे हो या फोन पे

या फिर से तुम

पेटीएम पर ही

मुझ जैसे किसी अनाड़ी से 

पे का बटन दबवा रहे हो....

अनिल भाई...कैसे हो...

सिस्टर - ब्रदर कहकर

अब किसकी गर्दन दबा रहे हो

अच्छा स्लिप तो नाम इरशाद है तुम्हारा

अहा...कितना सुन्दर शब्द

हर महफिल में कहते हैं इरशाद

तो इरशाद....

अब किसके खाते से

पैसे उड़ा रहे हो....

देवेन्द्र भाई, 

किसको कंगाल बना रहे हो?

अच्छा बताना

माँ - बाप से..बीबी से

नजर मिला पाते हो

या पकड़े जाने के डर से

सालों से घर ही नहीं गये हो..

तरसे हो सूनी कलाई लिये

या बच्चे की तोतली जुबान के लिए

देखो...तुमने भी तो ठगी की

अच्छा बतलाना...

कैसे इतनी बद्ददुआओं का 

बोझ उठा रहे हो...

मंजीत भाई

यह वह मिट्टी है जहाँ

रत्नाकर वाल्मिकी बन गये

रत्नावली के वचनों से

तर गये तुलसीदास..

रामचरित मानस पढ़ते हो

या भाते हैं तुमको वेद व्यास

आल्हा - उदल याद हैं या फिर रासो..

बैठ जाओ अब मंजीत

खुद से भागकर अब

तुम बहुत थक से गये हो...

लेकिन भागकर जाओगे कहाँ

आँखें बन्द करोगे 

तो सुनाई देगा आर्तनाद

जिनको तुमने दिये हैं आँसू

....सुन लो भाई 

तुम भागते रहे...

जिन्दगी भर...

जन्मों  तक 

मेरी शुभकामनाएं हैं तुम्हारे साथ

माथे की मणि खो चुके 

रिसते घाव लिए घूमते

अश्वत्थामा से मुलाकात 

तुम्हारी तय है.,...

क्योंकि वह तो 

तुम्हारे ही मन में है...

मंजीत भाई कैसे हो...

भाग रहे हो अब भी

या छुपकर कहीं लेटे हो


टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

जमाना थाली के बैंगन का है

दिल्ली का वह सफर जिसने अपनी सीमाओं को तोड़ना सिखाया

गंगा की लहरें, मायूस चेहरे. विकास की बाट जोहते काकद्वीप से मुलाकात