राजनीति के शिकंजे में जेएनयू,पिस रहे छात्र
जवाहर लाल नेहरु विश्वविद्यालय इन दिनों सुर्खियों में है। खबरों में या यूँ कहें कि विवादों में रहना इस विश्वविद्यालय की खासियत है मगर अच्छी बात यह थी कि विचारधारा के टकराव के साथ सृजनात्मकता के लिए इस विश्ववि्द्यालय की अपनी पहचान थी मगर अब इसे राजनीतिक पार्टियों की नजर लगती जा रही हैै। सच तो यह है कि राजनीतिक दल कोई भी हो, विश्वविद्यालय उसके लिए एक पॉलिटिकल वोट बैंक से अधिक कुछ भी नहीं है और हर कोई इन पर कब्जा जमाने में लगा है। जेयू से लेकर जेएनयू तक, हर जगह एक ही कहानी हैै मगर इन सब में जो पिस रहा है, वह एक आम छात्र और शिक्षक (अगर वह सचमुच शिक्षक है) के साथ अभिभावक है। अब यह विश्वविद्यालयों को तय और सुनिश्चित करना होगा कि उनके होते संस्थानों को राजनीति का जहर न डसे। बहुत हुआ, अब किसी राजनीतिक पार्टी की छाया शिक्षण संस्थानों पर नहीं पड़नी चाहिए, पर अभी यह होगा, इस पर भी संशय है और यही खतरा है।
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